सत्य काम | सत्य संकल्प ||
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God creates this entire cosmos for the souls. There are two objectives behind the creation – one is Prarabdha (i.e. predefined Karma one needs to undergo) and Moksha (liberation from the cycle of birth and death). All living beings are born with their own set of Prarabdha. However, we humans are unique, since we have the capacity to strive for Moksha too. Humans are not born to just undergo the fruits of past karmas. Sant Pravar Ji’s Swarved Divya Vani explains.

ईश्वर जीवात्माओं के लिए ही इस वृहत सृष्टि की रचना करते हैं। सृष्टि के पीछे दो उद्देश्य होते हैं – एक है प्रारब्ध भोग और दूसरा है इन भोगों से अपवर्ग अर्थात मोक्ष। मनुष्य सहित सभी जीवों के अपने-अपने प्रारब्ध हैं। परंतु मोक्ष के लिए प्रयास करने की क्षमता केवल मनुष्य के पास ही है। हम मानवों के लिए इस संसार में आने का उद्देश्य केवल प्रारब्ध भोग नहीं है। सन्त प्रवर जी की स्वर्वेद दिव्य वाणी इस विषय को स्पष्ट करती है।

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