Chitta is an Antah-karan (inner tool of the soul) which stores the impressions and memories through many life-times like a memory chip. The state of Chitta wavers according to the current prominence of Satogun (piousness), Rajogun (passion) and Tamogun (darkness) on it. It simultaneously results in behavioural changes in the person. The ‘Vikshipta’ state of the Chitta is when there is a prominence of Satogun, the goodness. Here a practitioner is inclined towards the good acts, the acts of spirituality. He also faces the effects of Rajas and Tamas, but sails past them through his consistent efforts.
चित्त हमारा वह अन्तःकरण है जिसमें अनेक जन्मों के संस्कार एक मेमोरी चिप की तरह सुरक्षित हैं। सतोगुण, रजोगुण एवं तमोगुण के प्रभाव से चित्त की अवस्थाएं बदलती रहती हैं जिनका प्रभाव व्यक्ति की प्रवृत्तियों पर देखने को आता है। चित्त की ‘विक्षिप्त’ अवस्था सतोगुण-प्रधान अवस्था है। सामान्य भाषा में मनोरोगियों को विक्षिप्त कह दिया जाता है। परंतु चित्त की विक्षिप्त अवस्था, मानसिक विक्षिप्तता से भिन्न विषय है। ये वह अवस्था है जब एक योगाभ्यासी सन्मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। श्रेष्ठ कार्यों में, आध्यात्मिक कार्यों में उसकी रुचि है। चित्त में सत्व की वृद्धि के साथ साथ राजसिक एवं तामसिक भावों में क्रमशः कमी भी हो रही है। योग मार्ग में यह एक महत्वपूर्ण अवस्था है।